Madhya Pradesh Municipal Election Result Kamal Nath Gives A Tough Fight To Shivraj Singh Chauhan In The Semi-finals Of 2023 Assembly Election Bhopal Indore – Mp Municipal Election Result: 2023 के सेमीफाइनल में कमलनाथ की शिवराज को कड़ी टक्कर, इन वजहों से भाजपा को हुआ नुकसान


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मध्यप्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का परफॉर्मेंस पिछली बार से सुधरा हुआ नजर आया। पहले चरण के 11 में से 7 नगर निगमों में भाजपा का महापौर होगा, जबकि कांग्रेस को जबलपुर, ग्वालियर और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में जबरदस्त सफलता हासिल हुई है। ग्वालियर में सिंधिया परिवार के पूरी तरह भाजपाई होने के बावजूद कांग्रेस ने 57 साल बाद अपना महापौर जितवा लिया।

यहीं नहीं प्रदेश के निकाय चुनाव में पहली बार किसी तीसरी पार्टी की एंट्री हुई है। आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली नगर निगम पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के एक पार्षद ने भी चुनाव जीत कर पार्टी को यह उपलब्धि हासिल करवाई है। हालांकि,दूसरे चरण में 20 जुलाई को 5 नगर निगमों के रिजल्ट आना अभी बाकी है।

भाजपा ने प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सतना, बुरहानपुर, खंडवा और सागर में परचम लहराया है, जबकि पार्टी को छिंदवाड़ा, जबलपुर और ग्वालियर में कांग्रेस से मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा है। कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने 18 साल बाद वापसी कर ली है। इस सीट के लिए कमलनाथ के बेटे व सांसद नकुलनाथ पूरे समय सक्रिय रहे। भाजपा को सबसे बड़ा झटका महाकौशल इलाके में लगा है। जबलपुर नगर निगम को इस बार बीजेपी ने गंवा दिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का जबलपुर में ससुराल भी है। निकाय चुनाव से चंद दिन पहले ही उन्होंने जबलपुर में रोड शो किया था। इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार की हार हुई है।

इसके अलावा सिंगरौली में आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। आप मेयर उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने यहां से जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल खुद प्रचार करने सिंगरौली पहुंचे थे। बीजेपी को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भाजपा को करारी हार मिली है। 50 साल बाद यहां कांग्रेस के सिर पर महापौर का ताज सजने जा रहा है।

अमर उजाला से चर्चा में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार ऋषि पांडेय कहते है कि निकाय चुनाव के परिणाम पर नजर डाले तो इसमें भाजपा को ज्यादा नुकसान और कांग्रेस को फायदा हुआ है। भाजपा भोपाल-इंदौर जैसे अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रही। पिछली बार भाजपा ने 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया था। इस बार कई अहम निगम उसके हाथ से निकल गए। उज्जैन और बुरहानपुर में बीजेपी को जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ी।

वरिष्ठ पत्रकार पांडेय कहते है कि ग्वालियर में कांग्रेस की जीत का असर पूरे अंचल पर दिखाई देगा। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां कड़ी मेहनत करना पड़ेगी। प्रदेश में एक मात्र सीट ग्वालियर थी, जहां उम्मीदवार के चयन को लेकर पार्टी के अंदर के झगड़े पब्लिक में आए। उम्मीदवार चयन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ स्थानीय नेताओं की लंबी बैठक हुई थी, लेकिन निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। क्योंकि सिंधिया का पक्ष कमजोर करने के लिए स्थानीय नेता ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट देने के लिए अड़ गए थे। हालांकि सिंधिया ने पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की पत्नी शोभा मिश्रा का नाम प्रस्तावित कर नया दांव खेला था। इन चुनावों के जरिए यह भी पता चला गया कि सिंधिया फैक्टर का भाजपा को कितना लाभ मिला, क्योंकि तोमर और सिंधिया दोनों के बीच अंतिम समय तक उम्मीदवार के चयन को लेकर खींचतान की खबरें चर्चा में थी।

उन्होंने कहा कि जबलपुर में भाजपा के उम्मीदवार को लेकर स्थानीय स्तर पर नाराजगी थी, लेकिन संघ के करीबी होने के कारण खुलकर विरोध नहीं हुआ। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन रोड शो किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बूथ कार्यकर्ताओं की बैठक के अलावा युवा सम्मेलन भी किया था। बावजूद इसके बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। शहर में 18 साल में पहली बार कांग्रेस यहां से एकजुट होकर चुनाव लड़ी, जबकि बीजेपी में उम्मीदवारों को लेकर उठापटक हुई। बीजेपी के कार्यकर्ता डॉ. जितेंद्र जामदार को महापौर उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे, लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया।

भाजपा ने जातीय समीकरण के कारण गंवाई सिंगरौली
आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गढ़ सिंगरौली में पर कब्जा किया है। इसकी एकमात्र वजह भाजपा में अंतर्कलह और जातीय समीकरण माना जा रहा है। सिंगरौली में सबसे ज्यादा वोटर 37 हजार ब्राह्मण हैं, लेकिन बीजेपी ने चंद्र प्रताप विश्वकर्मा पर दांव लगाया। इससे यह बड़ा वर्ग नाराज हो गया था। हालांकि ब्राह्मणों को मनाने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने घर-घर दस्तक दी थी। समाज की बैठकों में शामिल हुए। बावजूद इसके ब्राह्मणों का झुकाव आम आदमी पार्टी की तरफ था। बीजेपी की हार में आप उम्मीदवार रानी अग्रवाल का भी अहम रोल रहा। वे बीजेपी से इस्तीफा देकर आप पार्टी में शामिल हुई थी। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे।

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मध्यप्रदेश में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिली। सत्ता का सेमीफाइनल कहे जाने वाले नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस का परफॉर्मेंस पिछली बार से सुधरा हुआ नजर आया। पहले चरण के 11 में से 7 नगर निगमों में भाजपा का महापौर होगा, जबकि कांग्रेस को जबलपुर, ग्वालियर और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में जबरदस्त सफलता हासिल हुई है। ग्वालियर में सिंधिया परिवार के पूरी तरह भाजपाई होने के बावजूद कांग्रेस ने 57 साल बाद अपना महापौर जितवा लिया।

यहीं नहीं प्रदेश के निकाय चुनाव में पहली बार किसी तीसरी पार्टी की एंट्री हुई है। आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली नगर निगम पर कब्जा कर लिया है। इसके अलावा असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के एक पार्षद ने भी चुनाव जीत कर पार्टी को यह उपलब्धि हासिल करवाई है। हालांकि,दूसरे चरण में 20 जुलाई को 5 नगर निगमों के रिजल्ट आना अभी बाकी है।

भाजपा ने प्रदेश की राजधानी भोपाल, इंदौर, उज्जैन, सतना, बुरहानपुर, खंडवा और सागर में परचम लहराया है, जबकि पार्टी को छिंदवाड़ा, जबलपुर और ग्वालियर में कांग्रेस से मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा है। कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में कांग्रेस ने 18 साल बाद वापसी कर ली है। इस सीट के लिए कमलनाथ के बेटे व सांसद नकुलनाथ पूरे समय सक्रिय रहे। भाजपा को सबसे बड़ा झटका महाकौशल इलाके में लगा है। जबलपुर नगर निगम को इस बार बीजेपी ने गंवा दिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का जबलपुर में ससुराल भी है। निकाय चुनाव से चंद दिन पहले ही उन्होंने जबलपुर में रोड शो किया था। इसके बावजूद बीजेपी उम्मीदवार की हार हुई है।

इसके अलावा सिंगरौली में आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस को करारी शिकस्त दी है। आप मेयर उम्मीदवार रानी अग्रवाल ने यहां से जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल खुद प्रचार करने सिंगरौली पहुंचे थे। बीजेपी को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भाजपा को करारी हार मिली है। 50 साल बाद यहां कांग्रेस के सिर पर महापौर का ताज सजने जा रहा है।

अमर उजाला से चर्चा में मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार ऋषि पांडेय कहते है कि निकाय चुनाव के परिणाम पर नजर डाले तो इसमें भाजपा को ज्यादा नुकसान और कांग्रेस को फायदा हुआ है। भाजपा भोपाल-इंदौर जैसे अपने गढ़ को बचाने में कामयाब रही। पिछली बार भाजपा ने 16 नगर निगमों पर कब्जा जमाया था। इस बार कई अहम निगम उसके हाथ से निकल गए। उज्जैन और बुरहानपुर में बीजेपी को जीत के लिए मशक्कत करनी पड़ी।

वरिष्ठ पत्रकार पांडेय कहते है कि ग्वालियर में कांग्रेस की जीत का असर पूरे अंचल पर दिखाई देगा। इसलिए आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां कड़ी मेहनत करना पड़ेगी। प्रदेश में एक मात्र सीट ग्वालियर थी, जहां उम्मीदवार के चयन को लेकर पार्टी के अंदर के झगड़े पब्लिक में आए। उम्मीदवार चयन को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ स्थानीय नेताओं की लंबी बैठक हुई थी, लेकिन निष्कर्ष नहीं निकल पाया था। क्योंकि सिंधिया का पक्ष कमजोर करने के लिए स्थानीय नेता ब्राह्मण उम्मीदवार को टिकट देने के लिए अड़ गए थे। हालांकि सिंधिया ने पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा की पत्नी शोभा मिश्रा का नाम प्रस्तावित कर नया दांव खेला था। इन चुनावों के जरिए यह भी पता चला गया कि सिंधिया फैक्टर का भाजपा को कितना लाभ मिला, क्योंकि तोमर और सिंधिया दोनों के बीच अंतिम समय तक उम्मीदवार के चयन को लेकर खींचतान की खबरें चर्चा में थी।

उन्होंने कहा कि जबलपुर में भाजपा के उम्मीदवार को लेकर स्थानीय स्तर पर नाराजगी थी, लेकिन संघ के करीबी होने के कारण खुलकर विरोध नहीं हुआ। यही वजह है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन रोड शो किए। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बूथ कार्यकर्ताओं की बैठक के अलावा युवा सम्मेलन भी किया था। बावजूद इसके बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा। शहर में 18 साल में पहली बार कांग्रेस यहां से एकजुट होकर चुनाव लड़ी, जबकि बीजेपी में उम्मीदवारों को लेकर उठापटक हुई। बीजेपी के कार्यकर्ता डॉ. जितेंद्र जामदार को महापौर उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज थे, लेकिन पार्टी ने उनकी मांग को अनसुना कर दिया।

भाजपा ने जातीय समीकरण के कारण गंवाई सिंगरौली

आम आदमी पार्टी ने भाजपा के गढ़ सिंगरौली में पर कब्जा किया है। इसकी एकमात्र वजह भाजपा में अंतर्कलह और जातीय समीकरण माना जा रहा है। सिंगरौली में सबसे ज्यादा वोटर 37 हजार ब्राह्मण हैं, लेकिन बीजेपी ने चंद्र प्रताप विश्वकर्मा पर दांव लगाया। इससे यह बड़ा वर्ग नाराज हो गया था। हालांकि ब्राह्मणों को मनाने पूर्व मंत्री राजेन्द्र शुक्ला ने घर-घर दस्तक दी थी। समाज की बैठकों में शामिल हुए। बावजूद इसके ब्राह्मणों का झुकाव आम आदमी पार्टी की तरफ था। बीजेपी की हार में आप उम्मीदवार रानी अग्रवाल का भी अहम रोल रहा। वे बीजेपी से इस्तीफा देकर आप पार्टी में शामिल हुई थी। उन्होंने सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे।



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