Himachal: Raj Bhavan Shimla Will Be Renovated By Installing Dhajji Walls – Himachal: अब नहीं गिरेगा ‘राजभवन’, धज्जी दीवारें लगाकर होगा जीर्णोद्धार


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हिमाचल प्रदेश राजभवन की इमारत बार्नेस कोर्ट अब पूरी तरह से गिरेगी नहीं। इसका धज्जी दीवारें लगाकर जीर्णोद्धार होगा। सुर्खी, चूना और देवदार की लकड़ी से अंग्रेजों के जमाने के बने इस भवन की नई दीवारें खड़ी की जाएंगी। इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी आईआईटी रुड़की को दी गई है। इसमें सीमेंट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होगा।  आईआईटी रुड़की के जिस सिविल इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियर यहां इसका जीर्णोद्धार करवाएंगे, वे स्वर्ण मंदिर अमृतसर में भी काम कर चुके हैं।

कुछ महीने पहले 190 साल से ज्यादा पुरानी इस ऐतिहासिक धरोहर इमारत को गिराने का प्रस्ताव बना। इसे गिराकर नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी हुई। राज्य के लोक निर्माण विभाग के अलावा तीन एजेंसियों ने इसका निर्माण ऑडिट किया। राय बनी कि इस भवन के पुरानी धज्जी दीवार तकनीक से बने होने के कारण इसका जीर्णोद्धार मुश्किल होगा। गिराकर उसी ढांचे को दोबारा तैयार करना आसान बताया गया। मुख्य सचिव राम सुभग सिंह को इसका प्रस्ताव भेजा गया तो उन्होंने परामर्शक एजेंसी की मदद लेने को कहा। परामर्शक एजेंसी के रूप में आईआईटी रुड़की की मदद ली गई।

इस संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में एक टीम ने पिछले दिनों इस इमारत का मुआयना किया है। इसे गिराकर खड़ा करने के बजाय यह राय दी है कि इसे पुरानी तकनीक अपनाकर ही जस का तस खड़ा किया जा सकता है। अब लोक निर्माण विभाग आईआईटी रुड़की के लिए केवल बजट का प्रबंध करेगा। सारा निर्माण कार्य यह संस्थान दो एजेंसियों ‘धरोहर कंजर्वेशन आर्किटेक्ट’ और ‘ईएसआई कंपनी’ की मदद से करेगा। गौर हो कि अमर उजाला ने अपने 21 अप्रैल 2022 के अंक में ‘शिमला में 190 साल पुरानी धरोहर इमारत ‘राजभवन’ को गिराने का प्रस्ताव’ खबर प्रमुखता से छापी थी।

भारत-पाक के बीच शिमला समझौता यहीं हुआ  
इस भवन के ग्राउंड फ्लोर में कीर्तिकक्ष में 3 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था। यहां उस वक्त की कुर्सियां और मेज सुरक्षित हैं। 

‘यह हेरिटेज भवन है। आईआईटी रुड़की को इसे दुरुस्त करने का काम दिया गया है। इसमें कैसे काम होना है, यह आईआईटी रुड़की ही तय करेगी।’ 
– राजेश शर्मा, सचिव, हिमाचल प्रदेश राजभवन, शिमला। 

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हिमाचल प्रदेश राजभवन की इमारत बार्नेस कोर्ट अब पूरी तरह से गिरेगी नहीं। इसका धज्जी दीवारें लगाकर जीर्णोद्धार होगा। सुर्खी, चूना और देवदार की लकड़ी से अंग्रेजों के जमाने के बने इस भवन की नई दीवारें खड़ी की जाएंगी। इसके जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी आईआईटी रुड़की को दी गई है। इसमें सीमेंट का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं होगा।  आईआईटी रुड़की के जिस सिविल इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियर यहां इसका जीर्णोद्धार करवाएंगे, वे स्वर्ण मंदिर अमृतसर में भी काम कर चुके हैं।

कुछ महीने पहले 190 साल से ज्यादा पुरानी इस ऐतिहासिक धरोहर इमारत को गिराने का प्रस्ताव बना। इसे गिराकर नए सिरे से खड़ा करने की तैयारी हुई। राज्य के लोक निर्माण विभाग के अलावा तीन एजेंसियों ने इसका निर्माण ऑडिट किया। राय बनी कि इस भवन के पुरानी धज्जी दीवार तकनीक से बने होने के कारण इसका जीर्णोद्धार मुश्किल होगा। गिराकर उसी ढांचे को दोबारा तैयार करना आसान बताया गया। मुख्य सचिव राम सुभग सिंह को इसका प्रस्ताव भेजा गया तो उन्होंने परामर्शक एजेंसी की मदद लेने को कहा। परामर्शक एजेंसी के रूप में आईआईटी रुड़की की मदद ली गई।

इस संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर भूपेंद्र सिंह की अध्यक्षता में एक टीम ने पिछले दिनों इस इमारत का मुआयना किया है। इसे गिराकर खड़ा करने के बजाय यह राय दी है कि इसे पुरानी तकनीक अपनाकर ही जस का तस खड़ा किया जा सकता है। अब लोक निर्माण विभाग आईआईटी रुड़की के लिए केवल बजट का प्रबंध करेगा। सारा निर्माण कार्य यह संस्थान दो एजेंसियों ‘धरोहर कंजर्वेशन आर्किटेक्ट’ और ‘ईएसआई कंपनी’ की मदद से करेगा। गौर हो कि अमर उजाला ने अपने 21 अप्रैल 2022 के अंक में ‘शिमला में 190 साल पुरानी धरोहर इमारत ‘राजभवन’ को गिराने का प्रस्ताव’ खबर प्रमुखता से छापी थी।

भारत-पाक के बीच शिमला समझौता यहीं हुआ  

इस भवन के ग्राउंड फ्लोर में कीर्तिकक्ष में 3 जुलाई 1972 को भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला समझौता हुआ था। यहां उस वक्त की कुर्सियां और मेज सुरक्षित हैं। 

‘यह हेरिटेज भवन है। आईआईटी रुड़की को इसे दुरुस्त करने का काम दिया गया है। इसमें कैसे काम होना है, यह आईआईटी रुड़की ही तय करेगी।’ 

– राजेश शर्मा, सचिव, हिमाचल प्रदेश राजभवन, शिमला। 



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