Apple Growers Will Now Get Plastic Crates On Subsidy In Himachal – Plastic Crates: हिमाचल में सेब बागवानों को अब उपदान में मिलेंगे प्लास्टिक क्रेट


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हिमाचल के सेब बागवानों को कार्टन पर उपदान भले ही नहीं दिया है और अब सरकार प्लास्टिक क्रेट कि सानों और बागवानों को उपदान में देगी। प्रदेश सरकार ने चालू सेब सीजन के लिए अच्छे प्लास्टिक के क्रेट पर उपदान देने के लिए दो करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। प्रदेश के कुल्लू और मंडी जिले के सेब बागवान लंबे समय से कार्टन के बदले प्लास्टिक के क्रेट में सेब पैक करके मंडियों में बेचने ले जाते हैं। शिमला के सेब बागवान  कार्टन में ही सेब पैक करके  बाजार में बेचना पसंद करते हैं। बागवानों को सरकार की एजेंसी एचपीएमसी हर साल कंपनियों से कार्टन आपूर्ति करने के लिए  टेंडर आमंत्रित करती रही है।

जो कंपनी सबसे कम रेट कार्टन की देती है, उसे कार्टन आपूर्ति का काम देती है। इस साल भी कार्टन के रेट तय कर बागवानों को 15 फीसदी महंगी दरों पर कार्टन उपलब्ध करवाए जाने हैं। बताते हैं कि सेब बागवानों और सब्जी उत्पादकों को सरकार सस्ते क्रेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन क्रेटों पर सरकार इस सीजन में कितना उपदान देगी, यह सरकार ने अभी तय नहीं किया है। अच्छे प्लास्टिक के क्रेटों पर ही बागवानों को  उपदान देने की व्यवस्था होगी। राज्य के बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार ने सेब बागवानों और सब्जी उत्पादकों के लिए अच्छे प्लास्टिक के  क्रेट उपलब्ध कराने के लिए दो करोड़ की राशि विभाग को जारी कर दी है। प्रति क्रेट पर कितना उपदान बागवानों और किसानों को दिया जाना है, यह अभी तय नहीं किया है। 

कार्टन में ग्रेडिंग कर होगा सेब पैक
राज्य के बागवानों को ग्रेडिंग करके सेब पैक कर बेचना पड़ता है। ग्रेडिंग और पैकिंग का खर्चा सेब बागवानों को खुद वहन करना पड़ता है। मंडियों में कार्टन में पैक किए सेब के दाम ग्रेडिंग के हिसाब से मिलता है।

गोल रेट में बिकता है क्रेट का सेब
प्लास्टिक के क्रेट में सेब पैक करके बिकने वाला सेब गोल रेट यानी एक ही दाम मिलता है। क्रेट खाली करके बागवानों को लौटा देते हैं। इसके बाद आढ़ती या लदानी सेब की पैकिंग और ग्रेडिंग का खर्चा खुद वहन करते हैं। बागवानों को बिना ग्रेडिंग के सेब का दाम अपेक्षाकृत कम मिलता है। 

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हिमाचल के सेब बागवानों को कार्टन पर उपदान भले ही नहीं दिया है और अब सरकार प्लास्टिक क्रेट कि सानों और बागवानों को उपदान में देगी। प्रदेश सरकार ने चालू सेब सीजन के लिए अच्छे प्लास्टिक के क्रेट पर उपदान देने के लिए दो करोड़ रुपये की राशि जारी कर दी है। प्रदेश के कुल्लू और मंडी जिले के सेब बागवान लंबे समय से कार्टन के बदले प्लास्टिक के क्रेट में सेब पैक करके मंडियों में बेचने ले जाते हैं। शिमला के सेब बागवान  कार्टन में ही सेब पैक करके  बाजार में बेचना पसंद करते हैं। बागवानों को सरकार की एजेंसी एचपीएमसी हर साल कंपनियों से कार्टन आपूर्ति करने के लिए  टेंडर आमंत्रित करती रही है।

जो कंपनी सबसे कम रेट कार्टन की देती है, उसे कार्टन आपूर्ति का काम देती है। इस साल भी कार्टन के रेट तय कर बागवानों को 15 फीसदी महंगी दरों पर कार्टन उपलब्ध करवाए जाने हैं। बताते हैं कि सेब बागवानों और सब्जी उत्पादकों को सरकार सस्ते क्रेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन क्रेटों पर सरकार इस सीजन में कितना उपदान देगी, यह सरकार ने अभी तय नहीं किया है। अच्छे प्लास्टिक के क्रेटों पर ही बागवानों को  उपदान देने की व्यवस्था होगी। राज्य के बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि सरकार ने सेब बागवानों और सब्जी उत्पादकों के लिए अच्छे प्लास्टिक के  क्रेट उपलब्ध कराने के लिए दो करोड़ की राशि विभाग को जारी कर दी है। प्रति क्रेट पर कितना उपदान बागवानों और किसानों को दिया जाना है, यह अभी तय नहीं किया है। 

कार्टन में ग्रेडिंग कर होगा सेब पैक

राज्य के बागवानों को ग्रेडिंग करके सेब पैक कर बेचना पड़ता है। ग्रेडिंग और पैकिंग का खर्चा सेब बागवानों को खुद वहन करना पड़ता है। मंडियों में कार्टन में पैक किए सेब के दाम ग्रेडिंग के हिसाब से मिलता है।

गोल रेट में बिकता है क्रेट का सेब

प्लास्टिक के क्रेट में सेब पैक करके बिकने वाला सेब गोल रेट यानी एक ही दाम मिलता है। क्रेट खाली करके बागवानों को लौटा देते हैं। इसके बाद आढ़ती या लदानी सेब की पैकिंग और ग्रेडिंग का खर्चा खुद वहन करते हैं। बागवानों को बिना ग्रेडिंग के सेब का दाम अपेक्षाकृत कम मिलता है। 



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