रूस-यूक्रेन जंग के बीच चीन के 29 लड़ाकू विमानों की घुसपैठ, ताइवान ने खदेड़ा


ताइपे. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण (Russian invasion of Ukraine) के कारण चीन को भी मौका दिखने लगा है. यही वजह है कि पिछले 19 दिनों में दो बार चीनी लड़ाकू विमानों (Chinese Planes Infiltrated in Taiwan) ने ताइवान में घुसपैठ की है. चीन ने बुधवार को अपने 29 लड़ाकू विमान ताइवान की तरफ भेजें. हालांकि, ताइवानी वायु सेना (Taiwan Air Force) ने चेतावनी देकर चीनी लड़ाकू विमानों (Chinese Air Force Fighter Jets) को अपनी हवाई सीमा से बाहर खदेड़ दिया. चीन ताइवान के इलाके को खुद एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन घोषित कर दिया है.

ताइवानी रक्षा मंत्रालय ने बताया कि उसके देश की वायु सेना ने चीन के 29 विमानों को चेतावनी देकर खदेड़ दिया. मंत्रालय ने बताया कि इस घुसपैठ में चीनी वायु सेना के सात जे-10 लडाकू विमान, पांच जे-16 लड़ाकू विमान और एक वाई-8 इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर विमान शामिल था. इन विमानों ने दक्षिण चीन सागर में ताइवान के नियंत्रण वाले प्रतास द्वीपसमूह के पास से उड़ान भरी थी.

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बता दें कि अमेरिका कई बार आशंका जता चुका है कि चीन ताइवान पर हमला कर सकता है. अमेरिका ने यह भी खुला ऐलान कर दिया है कि अगर ऐसा होता है तो वह ताइवान की मदद के लिए सेना भेजेगा.

लीक हो गया था सीक्रेट प्लान
चीन की एक मानवाधिकार कार्यकर्ता ने दावा किया था कि एक ऑडियो क्लिप में चीन की गुप्त योजना कैद है. उन्होंने 57 मिनट की एक ऑडियो क्लिप जारी की थी और दावा किया था कि इसमें चीन के टॉप सैन्य अधिकारी ताइवान पर हमले की बात कर रहे हैं. इस ऑडियो के सामने आने के बाद चीन ने इस बात से साफ इनकार कर दिया था. बताया जा रहा है कि पहली बार ऐसा हुआ था कि चीन का कोई प्लान इस तरह लीक हो गया था.

लीक ऑडियो में क्या था प्लान
इस ऑडियो के मुताबिक चीन की सेना पर्ल नदी डेल्टा के पास एक सी डिफेंस ब्रिगेड बनाना चाहती थी. इस इलाके को चीनी उद्योग का केंद्र माना जाता है. इस नदी डेल्टा में चीन के कई महत्वपूर्ण शहर हैं. इस ऑडियो में ताइवन जलडमरू मध्य और साउथ चाइना सी के बीच तारतम्य बनाने पर फोकस करने की बात कही जा रही थी.

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ताइवान को लेकर विवाद क्यों?
चीन मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा. दूसरी ओर, ताइवान ख़ुद को एक आज़ाद मुल्क मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है.

ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से क़रीब 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है. यह ‘पहली द्वीप शृंखला’ में मौजूद है, जिसमें अमेरिका समर्थक कई देश स्थित हैं. अमेरिका की विदेश नीति के लिहाज़ से ये सभी द्वीप काफ़ी अहम हैं.

चीन यदि ताइवान पर क़ब्ज़ा कर लेता है तो पश्चिम के कई जानकारों की राय में, वो पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा दिखाने को आज़ाद हो जाएगा. उसके बाद गुआम और हवाई द्वीपों पर मौजूद अमेरिकी सै​न्य ठिकाने को भी ख़तरा हो सकता है. हालांकि, चीन का दावा है कि उसके इरादे पूरी तरह से शांतिपूर्ण हैं.

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