रुलेहड़ पंचायत में जलजले का 1 साल: सबकुछ खो कर मिला आश्वासन, फिर हरे हुए जख्म


धर्मशाला. शाहपुर विधानसभा क्षेत्र की पहाड़ी बेल्ट धारकंडी के दुर्गम पर्यटन क्षेत्र बोह वैली की रुलेहड़ पंचायत के उस गांव में पूरे एक साल के बाद आज फिर से अचानक हलचल देखी गई है. कुछ उभरते हुये नेतागण और जन प्रतिनिधियों ने फिर से इस जलजले से प्रभावित क्षेत्र का दौरा करके पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और उनके परिवार के दिवंगत सदस्यों की आत्मा की शांति के लिये हवन यज्ञ, पौधारोपण और रक्तदान शिविरों का आयोजन किया. शाहपुर की दरगेला पंचायत से ताल्लुक रखने वाले समाजसेवी और भाजपा नेता कमल शर्मा ने मंगलवार को रुलेहड़ पहुंचकर दिवंगत आत्माओं की शांति के लिये हवन यज्ञ करके मृतकों के नाम का एक एक पौधा भी लगाया. उन्होंने बताया कि इन लोगों के साथ जो हुआ वो किसी के साथ न हो. चाहे जैसी भी स्थिति हो हम इन परिवारों के साथ खड़े हैं और इनके पुनर्वासन के लिये निजी स्तर पर भी सहयोग करते रहेंगे.

रुलेहड़ पंचायत के इस गांव में ठीक एक साल पहले 12 जुलाई को इतना जलजला आया था कि यहां अचानक से देखते ही देखते एक गांव मलबे के ढेर में तब्दील हो गया था. सुबह के वक़्त पौह फटने के बाद जिस शख्स ने भी इस मंजर को देखा वो सिर्फ चीखने चिल्लाने के और कुछ सोच समझ नहीं पाया. इस हादसे में कुछ परिवारों के 10 सदस्य जिसमें भीमसेन नाम के पारिवारिक मुखिया के घर के एक साथ पांच सदस्य और अन्य 5 लोग मलबे के नीचे दब कर ज़िन्दगी की जंग हार गये थे. जिन्हें NDRF की टीम ने करीब 12 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला था.

सबकुछ खो दिया, मिला महज आश्वासन

घटना में कई परिवार बेघर हो गये थे, जिन्हें सरकार ने पुनर्वासित करने का उस वक़्त आश्वासन दिया था, मगर आज ग्राउंड रियल्टी ये है कि इन लोगों को पुनर्वासन के नाम पर महज लॉलीपॉप हासिल हुआ है. इस हादसे में अपनों को खो चुके प्रकाश चन्द, करतार चन्द समेत दूसरे लोगों की मानें तो सरकार ने जो दावे किये थे उनकी हकीकत ढाक के तीन पात है.?

प्राकृतिक आपदा के बाद भी रुलेहड़ पंचायत बेहाल

गौरतलब है कि प्राकृतिक आपदा से पहले सरकार और प्रशासन की ओर से लोगों को अलर्ट करने की वर्षों पुरानी रवायत चली आ रही है और इसके लिये बाकायदा हर वित्त वर्ष में अलग से बजट का भी प्रावधान किया जाता है. इतना ही नहीं केंद्र की ओर से भी होने वाले नुकसान का आकलन करके पुनर्वासन के लिये करोड़ों रुपये दिये जाते हैं. बावजूद इसके घटना घटित हो जाने के बाद सरकार प्रशासन जो मौके पर आकर आश्वासन का राशन देकर जाते हैं. पूरा साल गुजर जाने के बाद भी शाहपुर के धारकंडी क्षेत्र की रुलेहड़ पंचायत में सरकार के आश्वासनों की जमीनी हकीकत नजर नहीं आ रही.

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