महरौली में एक इमारत पर बुलडोजर दौड़ता है।
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने एक नई ‘सीमा रिपोर्ट’ तैयार की है, जब तक कि शहर के दक्षिणी हिस्से में स्थित महरौली पुरातत्व पार्क में मकानों और दुकानों को अनुपालन पर रोक लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर दिल्ली सरकार और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ) से मांगा। जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने महरौली माइनॉरीटीज रेजीडेंट एंड शॉप ओनर्स वेलफेयर की याचिका पर नोटिस जारी किया और साथ ही निर्देश दिया कि विषय को मुख्य न्यायाधीश के अध्यक्ष खंडपीठ के अधिकार में रखा जाए, जहां इसी तरह का एक विषय पहले से दस्तावेज है।
एलजी ने घुसपैठ पर रोक लगाई
इस बीच दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने महरौली और लाडो सराय में डीडीए द्वारा जारी एंटी-हिट कार्रवाई पर अगले ऑर्डर तक रोक दिया है। जाहिर तौर पर उपराज्यपाल के इस आदेश के बाद उन लोगों ने राहत की सांस ली होगी जिनके दरवाजे और दुकानों पर आने वाले दिनों में कार्रवाई होने वाली थी। बता दें कि इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने अल्टर एक्शन में दखल देने से इनकार कर दिया था।
कई बिल्डिंग एक्शन की जद में
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा, ‘नोटिस जारी किया जाए। खंडपीठ-1 के अलग-अलग मुद्दों को प्राप्त करने के दावे और तथ्य पर विचार करते हुए यह उसी खंडपीठ के अलग रखा जाता है। इसे खंडपीठ-1 के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा, जो 17 फरवरी को मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर स्थायी रूप से रहेगा।’ बता दें कि अधिकारियों ने सख्त अभियान के महरौली पुरातत्व पार्क के तहत करीब 20 बहुमंजिला भवन, बड़ी संख्या में दुकानें और मकान और एक निजी स्कूल भवन की पहचान ऐसे रणनीतिक रूप में की है जो पिछले कुछ दशक में अवैध रूप से बनाए गए हैं हैं।
लोग लगातार विरोध कर रहे हैं
अधिकारी इन ढांचों को टकराने पर रोक के लिए रोक के लिए कुछ पक्षकारों द्वारा अदालत का रूख करने के बाद कहा गया कि केवल उन ढांचों को हटाया जाएगा जो किसी वाद का हिस्सा नहीं हैं। इस पार्क में जी-20 की एक प्रस्तावित बैठक से एक महीने पहले शुक्रवार को यह अभियान शुरू किया गया था। डीडीए के मुताबिक, इस पुराने पार्क में करीब 5 स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राज्य पुरातत्व विभाग और शहरी निकाय के संरक्षण के तहत हैं। कार्रवाई के विरोध में महरौली के लोगों का कहना है कि जिस संपत्ति पर वे टैक्स देते हैं, वे उसे भी गैर-कानूनी बताते हैं।
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