जर्मनी और रूस के बीच फिर शुरू हुई गैस सप्लाई, यूरोप को इस बात का है डर


बर्लिन. रूस और जर्मनी के बीच बंद पड़ी नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन को 10 दिन की मरम्मत के बाद फिर शुरू कर दिया गया है. नॉर्ड स्ट्रीम के प्रवक्ता ने न्यूज एजेंसी AFP से बातचीत में बताया कि पाइपलाइन को वापस से शुरू कर दिया गया है. हालांकि, कितनी गैस सप्लाई की जा रही है इसकी जानकारी नहीं दी गई.

यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद से जर्मनी को डर है कि रूस गैस की आपूर्ति को रोक सकता है. साथ ही अन्य पश्चिमी देशों को भी यह आशंका है कि यूरोप में रूस गैस को एक हथियार के रूप में प्रयोग कर सकता है.

जर्मनी इस समय अपनी ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रूस पर निर्भर है. ऐसे में रूस द्वारा गैस आपूर्ति रोकने की स्थिति में जर्मनी के ऊर्जा क्षेत्र के ठप्प पड़ने की आशंका है.

जर्मनी के शीर्ष नेत्तृत्व को यह डर सता रहा है कि इस अवसर का इस्तेमाल कर रूस पूरे यूरोप को ऊर्जा संकट में धकेल सकता है. जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने बीते हफ्ते मीडिया से बातचीत में कहा था कि रूस जानबूझकर गैस के साथ ही यूक्रेन से आने वाले खाद्य निर्यात को भी रोक रहा है.

पुतिन ने ऊर्जा जरुरत को पूरा करने का दिया भरोसा
ईरान की राजधानी तेहरान में हुए एक सम्मलेन में रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूसी ऊर्जा कंपनी गज़प्रोम अपनी तय आपूर्ति को पूर्ण रूप से जारी रखेगी. हालांकि, पुतिन ने यह आशंका जताई है कि जब पाइपलाइन का एक गैस टरबाइन मरम्मत होने के लिए जायेगा तो भविष्य में 20 प्रतिशत तक आपूर्ति में कमी आ सकती है.

आपको बता दें कि गज़प्रोम ही नॉर्ड स्ट्रीम गैस पाइपलाइन के जरिये जर्मनी में गैस की आपूर्ति करती है. गज़प्रोम ने बीते हफ्ते जर्मनी में गैस की आपूर्ति 40 प्रतिशत तक घटा दी थी. कंपनी का कहना था कि पाइपलाइन की मरम्मत का काम चल रहा है.

रूस कर रहा है ब्लैकमेल
गैस टरबाइन की मरम्मत के तर्क को जर्मनी एक बहाना बता रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के रिज़र्व में 65 प्रतिशत ही गैस बची है. अगर समय रहते सामान्य आपूर्ति शुरू नहीं हुई तो जर्मनी ऊर्जा संकट से घिर सकता है.

ऊर्जा संकट से चिंतित यूरोपीय संघ आयोग के अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने इसे रूस द्वारा किया जा रहा एक ब्लैकमेल बताया है. उन्होंने कहा कि रूस ऊर्जा को एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहा है. उर्सुला ने आगे कहा कि चाहे रूस आधी आपूर्ति रोके या पूरी, यूरोप को इस ऊर्जा संकट के लिए तैयार रहना चाहिए.

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